एक गलत फहमी
" क्या मैं अंदर आ सकता हूं सर....?
हमने अंदर जाने की इजाजत मांगी....?
" हां आ जाओ ...!!
एक कोयल सी आवाज आई, हमने कमरे में पैर रखा कमरा क्या था मानो जैसे....... मैं किसी स्वप्न नगरी में कदम रख दिया हो ,
सामने एक बड़ा सा टेबल उस पर पांच सात लाल,पीले,काले रंग के लैंडलाइन टेलीफोन करीने से सजे हुए थें.....एक तरफ कुछ फाइल और.....
टेबल के दूसरी ओर एक बड़ा सा रिवाल्विंग चेयर ...... चेयर पर जो शख्शियत बैठी हुई थी उसका सर नीचे की ओर झुका हुआ था .....वह शायद कुछ लिख रही थी........
मैं टेबल के सामने खड़ा होकर बगल में दबी फाइल को हाथ में लेते हुए बोला .......
" सर..... उसने अपने सर को ऊपर की ओर उठाया और मेरे तरफ एकटक देखने लगी........!
उसके चेहरे को देखते ही मानो जैसे मुझे चक्कर आने लगा.....आंखों के आगे अंधेरा छा गया.....
मेरे मन में बस एक ही आवाज उठी " बेटा तुम्हारी हो चुकी नौकरी....."
मैं बाहर जाने के लिए मुड़ा ही था कि पीछे से एक कड़कदार आवाज आई ......
" ठहरो...!!
मेरे कदम जहां थें वहीं रुक गए.....वह बोली....
" बैठो.....!!
मैं थके थके कदमों से कुर्सी के पुश्त का सहारा लेते हुए बैठ गया, वह पुन: बोली ....
" क्या नाम है तुम्हारा .......!!
" राहुल...…!!
" कहां तक शिक्षा है तुम्हारी........!!
उसके अगले प्रश्न को सुनकर मैं अपने आपको कुछ हद तक संयत करते हुए उत्तर दिया.....
" एम०काम० प्रथम श्रेणी टाइपिंग एवं शार्टहैंड भी जनता हूं ......
अपनी बात कहकर नजरें दूसरी ओर करते हुए फाइल उसके तरफ बढ़ा दिया ..वह फाइल खोलकर एक सरसरी सी नजर उसपर डालते हुए उसने टेबल पर रखे हुए घंटी को बजा दिया ....चपरासी अन्दर आते ही बोला.....
" जी मैडम.....! " " हरि सिंह जरा टाईपिस्ट मिस डॉली को कहो कि मैडम बुला रहीं हैं.....! "
" जी मेम साब.....! "
हरि सिंह बाहर चला गया और वह पुनः फाइल पर झुक गई , मैं बस यूं ही खामोश खामोश सोच रहा था कि शायद यह उस दिन का बदला लेगी मेरा दिल धड़क रहा था ....उस दिन की घटना को सोचकर ...
जब हम ऐसे ही एक दिन सुबह सुबह नौकरी के लिए इन्टरव्यू देने जा रहे थें पास में किराया नहीं होने के कारण पैदल ही जा रहे थें....
रात को बारिश होने के चलते सड़क के अगल बगल के गड्ढों में पानी भरा हुआ था.... जहां तहां कीचड़ ही कीचड़ था मैं अपने सोचों में गुम तेज तेज कदमों से चला जा रहा था कि.....
मेरे बगल से अचानक एक बड़ी सी कार गुजरी जिसकी स्पीड कुछ ज्यादा ही थी....
कार कीचड़ सने गड्ढे में से होती हुई छपाक से मेरे ऊपर कीचड़ बिखेरती हुई बगल से गुजर गई....
मैं कीचड़ से लगभग सन चुका था ....मुझे बड़ी तेज गुस्सा आया क्योंकि अगर ड्राइवर चाहता तो मुझे बचा सकता था...
अपने गाड़ी की स्पीड थोड़ी कम कर के या फिर बगल से घुमाकर परन्तु उसने मुझे बचाने की जरा सी भी कोशिश नहीं की थी.....
हमे गुस्सा आना स्वाभाविक था..हम अभी गाड़ी के तरफ देख ही रहे थें कि सामने चौराहे का ट्रैफिक सिग्नल लाल हो गया और कार रुक गई.... मैं दौड़ पड़ा और कार के ड्राइवर वाले साइड से जाकर खिड़की के अन्दर हाथ बढ़ाकर ड्राइवर का कॉलर पकड़कर बाहर खींचते हुए चीखा....
" साले अंधे के तरह गाड़ी.. ...चलाते...हो.. जमीन के लोग कीड़े मकोड़े दिखाई देते हैं...! " वहां पर भीड़ बढ़ने लगी थी..... कार का दरवाजा खुला .... अन्दर से ड्राइवर की जगह एक बाइस चौबीस साल की बला सी खूबसूरत लड़की निकली और गुस्से से बोली .....
" क्या हुआ....! " हमने अपने कपड़े की तरफ इशारा करते हुए बोला " यही हुआ....क्या ...अब भी तुम्हें दिखाई नहीं देता....! " वह मेरे कपड़ों को देखते हुए बोली....
" सॉरी मैं जरा हड़बड़ी में थी...! "
हम बड़ी तेज तेज आवाज में बोलने लगे थें.... भीड़ में ज्यादातर लोग पैदल चलने वाले ही थें.... वे लोग भी हमारा ही समर्थन करने लगे थें....और उसे हाथ जोड़कर हमसे माफी मांगना पड़ा था ....तब कहीं जाकर .... भीड़ ने उसे जाने दिया था........
आज वही लड़की मेरी भाग्य विधाता बनकर कुर्सी पर बैठी हुई थी और मैं याचक के रूप में उसके सामने खड़ा था.…....
मैं ख्यालों में गुम ही था कि अचानक आवाज सुनकर मेरी तंद्रा भंग हुई.......
" यस मैडम आपने हमको बुलाया है....!
हमने बोलने वाली लड़की के तरफ देखा छब्बीस सत्ताइस साल की एक सुंदर युवती थी...हमने अंदाजा लगाया ....शायद यही टाईपिस्ट मिस डॉली है..अचानक वह रिवाल्विंग चेयर वाली बोल उठी ....
" डॉली तुम मिस्टर राहुल का पेपर लेकर असिस्टेंट मैनेजर का अप्वाइंटमेंट लेटर टाईप करो .....और बाहर राम सिंह को कहती जाना की वह बाहर...इन्टरव्यू के लिए बैठे बाकी ...लड़कों को बोल देगा....... कि वह जाएं........ सलेक्शन हो चुका है.....! "
मैं उसकी बातों को सुनकर आश्चर्य के सागर में गोते लगा ही रहा था कि वह बोल पड़ी......
" अच्छा तो मिस्टर राहुल ...आप काम पर कब से आ रहे हैं.....! "
मैं चेहरे पर शर्मिंदगी का भाव लिए हुए ....नजरें झुकाकर बोला ......
" जी मैडम.... आप जबसे कहें.....! " वह मुस्कराते हुए बोल पड़ी.....
" आप कल से ही ज्वाइन कीजिए ...मगर ऑफिस में यह कपड़ा नहीं चलेगा.....क्या आपके पास सूट वगैरह है....या नहीं....! "
मैं हिचकिचाते हुए बोला...... " जी अभी फिलहाल तो नहीं है .. पगार मिलने पर बनवा लूंगा.....! " " मिस्टर ऐसे नहीं चलेगा.....! " हम लोग अभी बात कर ही रहे थें कि तब तक डॉली मेरा अप्वाइंटमेंट लेटर टाईप करके लेकर आ गई....
वह मैडम के तरफ लेटर बढ़ाती हुई बोली..... " टाईप हो गया मैडम.....! "
वह डॉली के हाथ से लेटर लेकर हमको देती हुई बोली....... " लीजिए और कल से काम पर आ जाइए... आपका पगार ..बीस हजार रुपए प्रतिमाह होगा ...आप सहित आपके पूरे परिवार के दवा और आवास की व्यवस्था कंपनी के तरफ से .........
आपको कंपनी आने जाने के लिए गाड़ी भी मिलेगी......! " मैं उठ गया था फिर धन्यवाद कहते हुए बोला.....
" अच्छा मैडम तो मैं चलूं....! " वह चेयर से उठते हुए बोली......
" अभी नहीं...अभी आपको हमारे साथ चलना होगा.....! " मैं उसके साथ ऑफिस से बाहर आया फिर..वह मुझे अपने गाड़ी में बैठाकर बाजार ले गई और हमारे लाख ना ना कहने पर भी तीन चार सूट जूता व एक ब्रिफकेश खरीद चुकी थी.... इस बीच मैं उससे काफी घुल मिल गया था.......
अब क्या होगा राहुल का.......?
क्या राहुल के जिंदगी में अचानक राजयोग आ चुका था या फिर यह एक दिवास्वप्न ही था....?
जानने के लिए पढ़ें अगले अंक मे.......
क्रमश.....
(अब तक आपने पढ़ा कि राहुल एक बेरोजगार लड़का है जो नौकरी के लिए भाग दौड़ कर रहा होता है और इसी क्रम में एक दिन किराया नहीं होने के कारण पैदल इन्टरव्यू देने जाते समय एक अमीर लड़की के कार से राहुल के कपड़ों पर कीचड़ का छींटा पड़ जाता है और उसके कपड़े खराब हो जाते हैं उस लड़की से राहुल का नोक झोंक हो जाता है अंत में राहुल के पक्ष में उपस्थित.... भीड़ के होने के चलते नहीं चाहते हुए भी लड़की को राहुल से माफी मांगनी पड़ती है...और बाद में एक दिन जब राहुल एक कम्पनी में इंटरव्यू देने जाता है तो .....मालिक के कुर्सी पर उसी लड़की को देखकर घबरा जाता है... परन्तु आशा के विपरीत वह लड़की राहुल को सेलेक्ट ही नहीं करती बल्कि लाख ना ना करने के बाद भी उसके लिए कपड़ों आदि की खरीददारी कर देती है......)
अब आगे......
जब उसने हमारे मुहल्ले के मोड़ पर गाड़ी रोकी तो मैं गाड़ी से उतरते ही बोला...... " उस दिन के घटना के लिए मैं काफी शर्मिंदा हूं...अगर हो सके तो हमे माफ कर दीजियेगा....! " वह बोली कुछ नहीं बस मुस्कराने लगी उसकी धवल दंतपंक्तियां जगमगा उठीं ....वह अपने पर्स को खोलते हुए बोली...... " घर में कौन कौन हैं ....! " " जी मां है और एक छोटी बहन है.....! " हमने आहिस्ते से कहा...वह पर्स से पांच पांच सौ के चार नोट निकाल कर हमारे तरफ बढ़ाई..... उसके हाथ से रुपए लेने में हमारे झिझक को देखकर वह बोली.... " ले लीजिए घर में नौकरी मिलने के खुशी में मिठाई नहीं ले जाना है क्या .....? " हमने रुपया ले लिया...... उसके मुस्करा कर कार स्टार्ट करते ही ....मैने झट से उसको नमस्कार किया...... " अच्छा नमस्कार मैडम.....! " " आप हमको शोभा कह सकते हैं....... वह हंसते हुए.....फिर बोली...... " कल सुबह आठ बजे तैयार रहिएगा...हम इधर से ही जाते हैं आपको लिफ्ट दे देंगे...! " कहते हुए शोभा गाड़ी आगे बढ़ा चुकी थी और.... मैं उसके व्यवहार....रूप..सौंदर्य में इस कदर खो चुका था कि....उसी तरह ना जाने कब तलक वहीं खड़ा रहा ...उसका यों मुझको नौकरी दे देना ...फिर कपड़े खरीदकर देना..घर तक छोड़ना..रुपए देना..यह सब ऐसे ही नहीं कोई कर देता......मेरे मन में न जाने कितने प्रश्न उस समय उठ रहे थें....और मैं मन ही मन सोच रहा था " राहुल बेटा तेरे तकदीर की लॉटरी खुल गई.......एक अरबपति चिड़िया फंस गई...! "
फिर जब मैं ख्यालों के समन्दर से बाहर आया तो घर के तरफ चल दिया ....मैं रास्ते में बनिए के दुकान से मिठाई भी ले लिया था....... मैं घर में घुसते ही चिल्ला उठा...." अंजू ...ओ अंजू तुम कहां हो...मां....मां..यहां आओ........! " मां आती हुई जोर से बोली.... " क्या बात है..जो..आते ही घर ..को.. सर पर उठा ..लिए....! " " मां पहले अपना मुंह खोलो और आंखें बंद करो..! " मैने कहा....! मां बोली... " आखिर बात क्या है...कुछ बोलोगे भी या बस यूं ही..पहेलियां ही बुझाते रहोगे....! " हमने कहा ....! " " पहले जैसा कहा वैसा करो...! " " लो बाबा बन्द किया...! " हमने झट से एक रसगुल्ला डब्बे से निकाल कर मां के मुंह में रख दिया...मां ने अपनी आंखें खोल दी और मुंह चलाते हुए कुछ बोलने ही वाली थी कि तब तक मेरी छोटी बहन अंजू भी आ गई..... हमने उसको मिठाई का पैकेट देते हुए बोला..... " अंजू....मां ....मुझे नौकरी मिल गई...मैं कल से शोभा इंडस्ट्रीज ऑफ कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर के रूप में कार्य करूंगा...भगवान का लाख लाख शुक्र है कि उन्होंने हमारी प्रार्थना सुन ली.....मां मैने यह तो बताना ही भूल गया था कि...हमारा तनख्वाह बीस हजार रुपए महीना और कंपनी के तरफ से आवास ,चिकित्सा ,कंपनी आने जाने के लिए एक कार भी कंपनी देगी.....! " मां और अंजू दोनों को सुनकर बहुत खुशी हुई....मैं उस दिन देर रात तक जागकर शोभा के ख्यालों में गुम रहा ....कभी ख्यालों में ही शोभा से शादी कर रहा होता था ...तो कभी ... हनीमून स्वीटजरलैंड में मना रहा होता था........
दूसरे दिन सुबह ही शोभा आकर मुझको कंपनी ले गई ...मैं सूट पहनकर राजकुमार लग रहा था...मैं उसी दिन से कंपनी लगातार जाने लगा...शोभा मुझे एक नई कार खरीदकर दे चुकी थी.....वह हमको पार्टी वगैरह में साथ ले जाती ...और सारे ड्यूटी के टाईम में से ....पांच या छह घंटे अपने पास ही रखती थी..हम आपस में काफी घुल मील गए थें....कभी हमें पैसे की जरूरत महसूस होती और जब मैं उससे एक हजार मांगता तो वह जबरदस्ती पांच हजार दे देती........ परन्तु इस बीच हमने उसमें एक बात नोट की थी कि वह हमें बहुत इज्जत देती है ....कभी भी मेरे नौकर होने के बावजूद भी वह हमको " तुम " नहीं कहती थी....और कभी अचानक उसके केबिन में मेरे पहुंच जाने पर वह अपने आपको ठीक ठाक करने लगती थी जैसे मैं ही उसका मालिक होऊं....और वह हमारी नौकर..... उस बीच हमने कई बार ऐसा चाहा कि.....मैं उससे अपने प्यार का इजहार कर दूं.....पर संकोच के कारण .....उससे अपनी बात नहीं बता पाया था..... वह कभी कभी बात करते वक्त मेरे चेहरे को बड़ी गौर से देखने लगती.. थी.....और..एका एक खामोश हो जाया करती थी.....और मैं समझता था कि शायद यह आज ख़ुद ही अपने प्यार का इजहार मुझसे कर दे ..... परन्तु वह चुप ही रहती थी......
एक दिन हम दोनों डिनर करने के लिए होटल ताज गएं....हालांकि ....मैं वहां जाना नहीं चाहता था परन्तु वह मुझे जबरदस्ती ले गई.....हम दोनों... कोने में बेंच पर बैठकर बस यूं ही बात कर रहे थें कि अचानक वह मेरे कंधे पर अपना सर रखकर रोने लगी ....मैं उसका रोना देखकर भावुक हो उठा...और उसके सर के बालों में अपने उंगलियों से कंघी करने लगा.....वह रो रही थी...और मैं तड़प रहा था.....अचानक मैं भी उससे लिपट गया...और बेतहाशा ....उसको चूमने लगा ....मैं अधिक देर तक खामोश नहीं रह सका और एक ही झोंक में कह गया... " शोभा मैं तुम्हें जान से भी ज्यादा... चाहता हूं.......मैं तुम्हारे बिना एक पल भी जिंदा नहीं रह सकता ...! " मैं अपनी बात कहता हुआ...उसको बेतहाशा चूम रहा था...और मेरे दोनों हाथ उसके बदन पर रेंग रहे थें.....अचानक वह मुझे पीछे के तरफ धकेल कर अलग हो गई....और तड़ाक से मेरे मुंह पर थप्पड़ मारते हुए बोली ...... " कमीने मैं तुझे क्या समझ रही थी...और..तूं..क्या निकला...! " उस समय उसके आंखों से मानो अंगार बरस रहा था...मैं बोल पड़ा " सॉरी शोभा जी मैं भावनाओं में बहकर न जाने क्या क्या कह गया ...! " वह बस दहकती हुई आंखों से मुझे निहारे जा रही थी ..जैसे...वह मुझे कच्चे चबा जाना चाहती हो...और बस यूं ही देखती देखती अचानक बोल पड़ी........ " तुमसे मेरे दिवंगत बड़े भाई की शक्ल मिलती जुलती थी इसलिए मैं तुमको अपने बड़े भाई के रूप में देखकर ही उस दिन वाले घटना के बाद भी तुम्हे नौकरी दी.......और....तुम..........
मेरा सर शर्म से झुक गया था और मैं सोच रहा था कि मैं कितनी बडी भूल करने जा रहा था.............. मेरे दिमाग के सारे दरवाजे खुल चुके थें......!!
(समाप्त)
आभार :-मनोज सिंह
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