एक हिंदू, एक भारत, श्रेष्ठ भारत ।
कभी जरा सोचिए....
पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे और घरों में ही प्रसव होते थे तो बच्चे की नाभिनाल कौन काटता था, मतलब पिता से भी पहले कौन सी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी ?
आपका मुंडन करते वक्त आपको कौन स्पर्श करता था ? शादी के मंडप में नाउन और धोबन भी होती थीं तो आखिर क्यों ?
लड़की का पिता, लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था।वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता था और अभी भी होता है।
आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था ?
भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी ?
किसने आपके कपड़े धोये थे ?
डोली अपने कंधे पर कौन मीलों-मील दूर से लाता था? और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल नहीं थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे ।
किसके हाथों से बनायी मिट्टी की सुराही से जेठ महीने में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी ?
कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था ?
कौन आपकी फसल लाता था ?
कौन आपके परिजनों की चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता है ?
जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे ।
. . . . . और स्वार्थी लोग कहते हैं कि छुआछूत था । यह छुआछूत की बीमारी विदेशी आतत्तायी मलेच्छ अरबी लोगों और धूर्त ईसाईत अंग्रेजों ने हिंदू धर्म को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी ।
अंग्रजों के जाने के बाद स्वार्थी राजनेताओं ने अपनी राजनीति स्वार्थ के लिए इसी कार्य को चरम पर पहुंचाया।
जातियां थीं, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई उल्लेख नहीं करता ।
अगर जातिवाद होता तो राम कभी शबरी के जूठे बेर ना खाते,वाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण कोई नहीं पढ़ता,
ब्राह्मण सुदामा कभी यादव कृष्ण से पैर ना धुलवाते !
जातियों में मत टूटिये, धर्म से जुड़िये, देश को जोड़िये और समाज में जागरूकता फैलाइए । सभी को अवगत कराएं !
सभी हिन्दू जातियाँ सम्माननीय हैं... एक हिंदू, एक भारत, श्रेष्ठ भारत ।
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