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नमक मत डालना || एक दिन भोजन में नमक छोड़ने का नियम बना रही हूंँ

#नमक...!! "बहू!.आज किसी भी सब्जी या दाल में नमक मत डालना।" "क्यों माँजी?" "सभी के लिए हफ्ते में एक दिन भोजन में नमक छोड़ने का नियम बना रही हूंँ।"

घर की नई नवेली छोटी बहू को अपने कमरे में बुलाकर सास ने समझाया और सास की बात सुन छोटी बहू ने सर हिलाकर सहमति जताई.. "ठीक है माँजी!" छोटी बहू सास के कमरे से बाहर जाने को मुड़ी ही थी कि सास ने फिर से छोटी बहू को टोका.. "सुन बहू!" "जी माँजी?" "यह बात तुम किसी को मत बताना!. भोजन के वक्त मैं खुद सभी को बता दूंगी।" "जी माँजी!" घर की छोटी बहू मुस्कुराते हुए अपनी सास के कमरे से बाहर चली गई।

छोटी बहू के जाते ही उस घर की बड़ी बहू ने सास के कमरे में प्रवेश किया.. "माँजी!.लाइए आपके सर में तेल लगा दूं।" यह कहते हुए उसने अपने साथ लाई ठंडे तेल की शीशी का ढक्कन खोल हथेली भर तेल उढ़ेल लिया और सास ने भी मुस्कुरा कर उसका स्वागत किया।

"मांँजी!..आपने आज छोटी को अपने कमरे में बुलाया,.कोई खास बात थी क्या?" अपनी सास के माथे पर तेल की चंपी करती बड़ी बहू ने जानना चाहा। "डांटने के लिए बुलाया था मैंने उसे!" "क्यों?" "हर रोज भोजन में नमक ज्यादा डाल देती है।" "आपने अच्छा किया माँजी!. उसे रसोई नहीं आती लेकिन यह बात वह मानने को तैयार नहीं।" बड़ी बहू की बात सुनती सास चुप रही कुछ बोली नहीं लेकिन बड़ी बहू ने अपनी मन की बात सास के सामने रखी.. "मांँजी!.आप कहे तो मैं फिर से रसोई संभाल लूं!. और उसे साफ-सफाई जैसे बाहर के काम जो आजकल मैं करती हूंँ आप उसे दे दीजिए।" "नहीं!.अभी नहीं!. आज भर देख लेती हूंँ।" सास ने मुस्कुराते हुए बड़ी बहू को आश्वासन दिया और सास की बात सुन बड़ी बहू ठंडे तेल की शीशी ले वापस सास के कमरे से बाहर चली गई।

इधर भोजन का वक्त होते ही छोटी बहू ने सभी के लिए भोजन की थाली सजा दी। भोजन का पहला निवाला मुंह में डालते ही सास मुस्कुराई.. "आज भोजन बहुत स्वादिष्ट बना है!" वही रसोई के दरवाजे के पर्दे की ओट में खड़ी छोटी बहू को आश्चर्य हुआ क्योंकि उसकी सास के साथ-साथ घर के सभी सदस्य भी बड़े मन से बिना कोई नमक की शिकायत किए स्वाद लेकर भोजन कर रहे थे।

भोजन समाप्त कर सास ने बड़ी बहू को अपने कमरे में आने का इशारा किया। सास का इशारा पा बड़ी बहू झटपट कमरे में पहुंची.. "मांँजी!.अपने मुझे बुलाया?" "बहू!.मुझे पता है कि,. तुम रसोई अच्छी तरह संभाल लेती हो और तुम्हें भोजन में नमक डालने का सही अंदाजा भी है।" सास के मुंह से अपनी तारीफ सुन बड़ी बहू खुश हुई.. "जी माँजी!" "लेकिन बने-बनाए भोजन में दुबारा नमक मिला देने से स्वाद बिगड़ जाता है!. शायद इस बात का अंदाजा तुम्हें नहीं है।" अपनी सास की बात सुन बड़ी बहू चौंक गई कुछ बोल ना सकी लेकिन सास ने अपनी बात पूरी कि.. "मैंने छोटी बहू को अपने कमरे में बुलाकर आज की रसोई में नमक डालने से मना किया था लेकिन फिर भी,. भोजन में नमक की मात्रा बिल्कुल सही थी।"

यह सुनते ही बड़ी बहू के पैरों तले जमीन खिसक गई वह सास के पैरों में गिर पड़ी.. "मांँजी!.मुझे माफ कर दीजिए।" सास ने उसे प्यार से अपनी बाहों में थाम कर उठा.. "बहू!.तुमने अपनी गलती मानी यही बड़ी बात है,. लेकिन फिर भी मैं आज से घर के कामों के बंटवारे में एक संशोधन कर रही हूंँ।" बड़ी बहू सर झुकाए खड़ी रही लेकिन सास ने अपना फैसला सुनाया.. "आज से तुम घर की साफ-सफाई के साथ-साथ रसोई में जाकर भोजन बनाने में छोटी बहू को मदद भी किया करोगी!. ताकि वह तुम्हारी तरह नमक का सही अंदाजा सीख सके।"

सास की बातों में स्वीकृति भाव से सर हिला आत्मग्लानि से भरी अपनी सास के कमरे से बाहर निकली बड़ी बहू ने रसोई में जाकर अपनी देवरानी को गले लगाया.. "मुझे माफ कर दो छोटी!"

भीतर के कमरे में सास-जेठानी के बीच हुई बातचीत से अनभिज्ञ छोटी बहू अपनी जेठानी का यह रूप देख हैरान किंतु अपनी जेठानी का आत्मिक स्नेह पाकर भाव-विभोर हुई।


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