top of page
खोज करे
  • लेखक की तस्वीरELA

ज़िंदगी तो ज़िंदा दिलों का नाम है मुर्दा दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं...!!

पचास साठ या फिर उस से पार की भी औरतें... क्यों बंदिश लगा लेती हैं खुद पर...? कपडे ख़रीदने जाती हैं अब लाल गुलाबी तो अच्छा नहीं लगेगा इस उम्र में थोड़े फीके रंग लेने होंगे सलेटी , भूरा , क्रीम , सफ़ेद लिपस्टिक तो लगा ही नहीं सकतीं वह भी लाल हरगिज़ नहीं लोग क्या कहेंगे बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम किस ने बनाया होगा यह इडियम किसी मर्द ने ज़रूरी नहीं औरत ने भी बनाया हो सकता है सब से पहले तो औरत ही करती है कमेंट अरे , यह क्या पहना है सफ़ेद बालों का तो लिहाज़ किया होता किसी शादी , ब्याह , पार्टी पे बैठे बैठे पाँव थिरकने भी लग जाएंगे पर उठ के नाच नहीं सकती डांस फ्लोर पे तो यंगस्टर्ज़ का ही राज हो सकता है न लोग क्या कहेंगे इस उम्र में तो मंदिर जाना चाहिए दान पुन्य करना चाहिए पायल क्यों पहनी है पाँव में बेटा पूछता है अच्छा नहीं लगता बहु कहती है अब तो हमारे सजने संवरने के दिन हैं और प्यार प्यार तो हरगिज़ हरगिज़ नहीं हो सकता.... इस उम्र में भी कोई प्यार भरी बाते करता है भला अरे भई , कोई पूछे भला क्यों नहीं हो सकता प्यार करने की भी कोई उम्र होती है क्या...? प्यार का तो मतलब ही समझते गुज़र जाती है तमाम उम्र और क्यों नहीं पहन सकते लाल गुलाबी लगा सकते लाल लिपस्टिक क्यों नहीं लगा सकते ठुमका चुनाव अपना होना चाहिए दिल करे तो बादामी पहनो , दिल करे तो नारंगी सेहत इज़ाज़त दे तो नाचो नहीं तो थिरकने दो पैरों को कुर्सी पे बैठे हुए... यह बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम कह कर नीचा दिखाना छोड़ो मरने से पहले क्यों मरना ज़िंदगी तो ज़िंदा दिलों का नाम है मुर्दा दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं...!!


टैग:

5 दृश्य0 टिप्पणी

हाल ही के पोस्ट्स

सभी देखें

Commentaires

Noté 0 étoile sur 5.
Pas encore de note

Ajouter une note
bottom of page