top of page
खोज करे
  • लेखक की तस्वीरELA

स्त्रिया मर्दो से कम नहीँ..

एक अमीर आदमी की शादी बुद्धिमान स्त्री से हुई। अमीर हमेशा अपनी बीवी से तर्क और वाद-विवाद मेँ हार जाता था। बीवी ने कहा की स्त्रिया मर्दो से कम नहीँ.. अमीर ने कहा मैँ दो वर्षो के लिये परदेश चला जाता हूं । तुम , एक महल ,बिजनेस मेँ मुनाफा और एक बच्चा पैदा करके दिखा दो। आदमी परदेश चला गया... बीवी ने सारे कर्मचारियोँ मेँ ईमानदारी का बोध जगा के और मेहनत का गुण भर दिया। पगार भी बढ़ा दी। सारे कर्मचारी खुश होकर दिल लगा के काम करने लगे। मुनाफा काफी बढ़ा... बीवी ने महल बनवा दिये.. बीवी ने दस गाय पाले.. काफी खातिदारी की... गाय का दूध काफी अच्छा हुआ.. दूध से दही जमा के परदेश मेँ दही बेचने चली गई वेश बदल के.. अपने पति के पास बदले वेश मेँ दही बेची.. और रूप के मोहपाश मेँ फँसा कर संबंध बना ली। फिर एक दो बार और संबंध बना के अँगुठी उपहार मेँ लेकर घर लौट आई। बीवी एक बच्चे की माँ भी बन गई। दो साल पूरे होने पर पति घर आया। महल और शानो-शौकत देखकर पति दंग और प्रसन्न रह गया। मगर जैसे बीवी की गोद मेँ बच्चा देखा क्रोध से चीख उठा किसका है ये? बीवी ने जब दही वाली गूजरी की याद दिलाई और उनकी दी अँगुठी दिखाई तो अमीर काफी खुश हुआ। बीवी ने कहा-ः अगर वो दही वाली गुजरी मेरी जगह कोई और होती तो??? इस ''तो'' का उत्तर तो पूरी पुरूष जाति के पास नहीँ है। नारी नर की सहचरी, उसके धर्म की रक्षक, उसकी गृहलक्ष्मी तथा उसे देवत्व तक पहुँचानेवाली साधिका है।

स्त्रिया मर्दो से कम नहीँ..


टैग:

6 दृश्य0 टिप्पणी

हाल ही के पोस्ट्स

सभी देखें

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page