मेरे पति पेशे से एक इंजीनियर हैं, मैं उनसे उनके स्थिर(शांत) स्वभाव के लिए प्यार करती थी, और जब मैं उनके चौड़े कंधों पर अपना सिर झुकती थी तो मुझे गर्मजोशी और अजीब सा सूकुन का अहसास होता था।
शादी के दो साल बीतने के बाद मुझे महसूस हुआ कि मैं इससे थक गई हूँ। मेरे जो प्यार करने के जो भी कारण थे अब वही मेरी सारी बेचैनी के कारण बन गए हैं।
मैं एक भावुक महिला हूं और जब रिश्ते और मेरी भावनाओं की बात आती है तो मैं बेहद संवेदनशील हूं, मैं रोमांटिक पलों के लिए उसी तरह तरसती हूं, जैसे एक मछली पानी के लिए।
मेरे पति, मेरे बिल्कुल विपरीत हैं, उनकी संवेदनशीलता की कमी, और हमारी शादी में रोमांटिक पलों को लाने में उनकी असमर्थता ने मुझे बहुत निराश कर दिया है।
एक दिन, मैंने आखिरकार उनको अपने मन की बात बताने का फैसला किया, कि मुझे तलाक चाहिए। और मैने हिम्मत करके उन्हे बताया।
"आखिर,क्यों?" चौकते हुए उन्होंने पूछा।
"मैं थक गई हूँ, दुनिया में हर चीज का कोई कारण नहीं होता है!" मैनें कहा।
वह सुनते रहे , सोच के गहरे समुन्दर मे डूबे रहे।
इससे मेरी निराशा की भावना और बढ़ती गई, क्योंकि में ऐसे आदमी को देख रही थी जो अपनी दुर्दशा को व्यक्त भी नहीं कर पा रहा था, भला मैं उससे और क्या उम्मीद कर सकती थी? और अंत में उसने मुझसे पूछा: "मैं तुम्हारे इस फैसले को बदलने के लिए क्या कर सकता हूँ?"
किसी ने सच ही कहा है कि किसी के व्यक्तित्व को बदलना मुश्किल है। मुझे लगता है, मेरा उन पर से विश्वास उठना शुरू हो गया था।
उनकी आँखों में गहराई से देखते हुए मैंने धीरे से उत्तर दिया: "मै तुम्हे एक सवाल पूछती हूं , अगर तुम्हारा जवाब मेरे दिल को मना सकें, तो मैं अपना विचार बदल दूंगी, मान लो, मुझे एक पहाड़ की चट्टान पर खिला एक फूल चाहिए, और हम दोनों को ये पता हो कि उस फूल को तोड़ कर लाने मे तुम मर भी सकते हो, तो भी क्या तुम मेरे लिए ऐसा करोगे?”
उसने कहा: "मैं कल तुम्हें इसका जवाब दूंगा...।" उसकी प्रतिक्रिया सुनकर मेरा दिल बैठ गया।
मैं अगली सुबह उठी तो पाया कि वो नहीं थे , और सामने के दरवाजे के पास खाने की मेज पर, दूध के गिलास के नीचे, एक खत पड़ा था जो पढ़े जाने पर ये बाते बया करता था…। ओर उसकी बजह से आज भी हम साथ हैं। उस खत में था....
"प्रिए, मैं तुम्हारे लिए वह फूल नहीं तोड़ूंगा, लेकिन अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें इसके पीछे का कारण जरूर बताना चाहूंगा." यह पहली पंक्ति पढ़ते हैं मेरे दिल के हजारों टुकड़े हो गए। फिर भी मैंने पढ़ना जारी रखा।
"जब तुम कंप्यूटर का इस्तेमाल करती हो तो तुम हमेशा सॉफ़्टवेयर प्रोग्राम को गड़बड़ कर देती हो, अंत में तुम स्क्रीन के सामने बैठ कर रोती हो। मुझे अपनी उंगलियों को जिंदा रखना पड़ेगा ताकि मैं प्रोग्राम को सही कर के तुम्हारे कीमती आंसू बहने से रोक सकूं।
तुम हमेशा घर की चाबियां गुमा देती हो, इस लिए मुझे दरवाजा खोलने के लिए अपने पैरों को जिंदा रखना पड़ेगा ताकि दरवाजा तोड़कर तुम्हे घर के अंदर ले जा सकूं।
तुम यात्रा करना पसंद करती हो लेकिन हमेशा एक नई जगह में अपना रास्ता भूल जाती हो। मुझे तुम्हे रास्ता दिखाने के लिए अपनी आंखें जिंदा रखनी पड़ेगी।
तुम्हे हमेशा ऐंठन होती है जब भी तुम्हार "पीरियड" हर महीने आता है, मुझे अपनी हथेलियों को जिंदा रखना है ताकि मैं तुम्हारी पेट की ऐंठन को शांत कर सकूं।
तुम्हे घर के अंदर रहना पसंद हैं, और मुझे पता है कि तुम अंतर्मुखी व्यक्ति हो। तुम्हारी बोरियत को दूर करने के लिए मुझे तुम्हे चुटकुले और कहानियां सुनाने के लिए अपने मुंह को जिंदा रखना है।
तुम हमेशा कंप्यूटर और टीवी देखती हो, और इससे तुम्हारी आंखों का भविष्फ अच्छा नहीं होगा, मुझे अपनी आंखों को बचाना होगा ताकि जब हम बूढ़े हो जाएं, तो मैं तुम्हारी आंखे बन सकूं।
मैं भी समुद्र तट पर टहलते हुए तुम्हारा हाथ पकड़ना चाहता हूं। जैसे तुम धूप और सुंदर रेत का आनंद लेती हो और खुशी से गाने गुनगुनाती हो उसे मै अपने कानो से सुनना चाहता हूं इसलिए मेरे कान जिंदा रहने चाहिए…
जब तुम नहाके निकलती हो तो तुम्हारी भिनी भीनी खुशबू को मेहसूस करने के लिए मेरा नाक जीवित होना चाहिए।