एक औरत की व्यथा और कितनी कुर्बानी लोगे औरतों का ?
- Chetan Kushwaha
- Jul 5, 2023
- 8 min read
कितनी औरते ये कह पाई है की मैने पति का घर संभाला, बच्चो की देखभाल की तब जाके पति कामयाब हुआ? सुबह सुबह रोटी बनाकर उसके मुंह में ठूंसा ताकि भूखे काम न करना पड़े? गंदे कपड़े धोए ताकि साफ सुथरा काम पे जा सके? बीमार बुजुर्ग सास ससुर की सेवा की ताकि पति को फिक्र न हो?झाड़ू पोछा लगाया ताकि साफ घर में रहे? बीमार होने पर भी हमबिस्तर हुई ताकि उसे बुरा न लगे? अब एक मर्द ने पत्नी को पढ़ाया तो नही होगा खुद ही अनपढ़ था पढ़ने में मदद की बोल के इतना हल्ला मचा रहे है! पत्नी जब नशेड़ी,अपराधी,बेवकूफ,नीच बदमाश व्यभिचारी पति को झेल कर चुपचाप रहे परिवार को टूटने से बचाने के लिए तो संस्कारी वरना बुरी औरत? और कितनी कुर्बानी लोगे औरतों का?
आप इस लेख के बारे में क्या सोचते हैं...

यह जो आज कल PCS पत्नी को बार बार प्रचारित किया जा रहा है, यह सब प्रोपेगेंडा है। हां माना कि ऐसा कोई मामला आ गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अब सब लड़कियों या बहुओं के ऊपर शंका किया जाए यह सब एक मानसिक संकीर्ण विचारधारा सेट की जा रही है। ताकि जो पिछड़े, शोषित, दलित, वंचित और गरीब जमात के लोग शिक्षा के क्षेत्र में अपना झंडा गाड़ रहे है। वह पारिवारिक तौर पर कमजोर हो जाएं और विरोधियों को एक अच्छा मौका फिर से मिलने लगे तभी इस मुद्दे को व्यापक स्तर पर उठाया जा रहा है। नेशनल मीडिया द्वारा बार-बार स्कोर दिखाया जा रहा है, ताकि पिछड़ों के दिमाग में एक मानसिक संकीर्ण विचारधारा पैदा हो जिससे वह अपनी बहू बेटियों को बाहर जाकर शिक्षा के क्षेत्र में तैयारी ना करा सके।
खासतौर पर बड़ी नौकरिया तब मिलती हैं जब उम्र 25 या 30 प्लस हो और इस उम्र में अक्सर बेटियों का विवाह हो जाता है और वह दूसरे के घर की बहू बन जाती है इसीलिए इस मुद्दे को व्यापक तौर पर उठाया जा रहा है ताकि लोग अपनी पत्नी या बहू के ऊपर हमेशा शंका की दृष्टि बनाए रखें और उन्हें बाहर बड़ी नौकरियों की तैयारी के लिए ना भेजें।
अतः आप लोगों से विनम्र निवेदन है कि अपने बच्चों पर विश्वास रखें चाहे बेटा हो या बेटी या फिर पत्नी हो या बहू, अगर काबिलियत है तो उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में अवसर अवश्य प्रदान करें।
कुछ महिलाओं के चक्कर में प्रतिभाशाली महिलाओं की शिक्षा ना रोके, उन्हे पढ़ने का अवसर दे हर लडकी सावित्रीबाई फुले जी भी हो सकती है......
यह मेरे अपने विचार हैं।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हजार में एक केस ऐसा हो जाता है और ऐसा सवर्ण समाज में ज्यादा हो रहा है
पिछले कुछ वर्षों से ओबीसी समाज के कुछ महिलाएं आगे आई हैं
पुलिस प्रशासन में अधिकारी पद पर पहुंची हैं ,जिस पर अभी तक सवर्ण महिलाओं का एकाधिकार था।
इस समय मनु वादियों को मौका मिल गया है इसलिए बार-बार वही खबर दिखाए जा रहे हैं, हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना है समाज की महिलाओं को शिक्षित करना है ,
सावित्रीबाई फुले की विचारधारा को आगे बढ़ाना है।
ध्यान रहे परिवार की महिला यदि शिक्षित होगी तो सिर्फ परिवार ही नहीं बहुजन समाज भी, पिछड़ा समाज भी विकास की राह पकड़ेगा
जय सावित्री जय ज्योतिबा
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मैं कुछ लिखूं इससे पहले ही सबके पास अपने विचार इस विषय पर कुछ ना कुछ तो होगा.... आलोक मौर्य और ज्योति मौर्या विषय इतना बड़ा हो गया है... कि लगभग हर कोई इस पर अपनी राय दे चुका है... परंतु मैं इसलिए लिख रही हूं... क्योंकि मुझे कुछ संदेश, कमेंट ऐसे आए हैं... जिसे देख मुझे यह लगा कि मुझे अपने विचार भी रख देने चाहिए... एक - दो पोस्ट को छोड़कर मुझे सारी पोस्ट तो विपरीत नज़र आईं...
यह उनका निजी मसला था पर क्योंकि अब यह निजी नहीं रहा... और साथ ही इसे लेकर स्त्रियों की शिक्षा को निशाने पर लिया जा रहा है... तो मुझे लगा कि मुझे कुछ लिखना चाहिए...
(क्योंकि यह कोई रेप केस तो है नहीं की सजा और चर्चा नहीं होगी... और ना ही महंगाई, स्वास्थ्य की बात है... जो अंधभक्तों की नेत्र भी ना खुले..)
तो शुरू करते हैं... आलोक का आरोप है कि उन्होंने बड़ी मेहनत से ज्योति को पढ़ाया-लिखाया और उसे एस.डी.एम बनाया... मगर बाद में ज्योति ने एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर रखा... और बाद सवाल करने पर उन्होंने दहेज एक्ट में फंसाने का काम किया... उधर "ज्योति" पक्ष का आरोप है.. कि आलोक ने धोखा देकर उससे शादी की थी... वह सफाईकर्मी थे... मगर उन्होंने अपने आपको "ग्राम पंचायत अधिकारी #VDO" बताकर झूठ बोला और शादी की... इसके इतर अन्य बातें गौण हैं...
बात करें "ज्योति" के आरोप की तो उसमें सच्चाई हो भी सकती है और नहीं भी.... मगर उसमें नैतिकता नहीं है... बात अगर यह है कि वह सफाईकर्मी था और उसने झूठ बोलकर शादी की थी... तो ऐसा तो बिल्कुल नहीं हो सकता... कि ज्योति जी को शादी के इतने सालों बाद तक यह पता ही नहीं चला हो... अगर उन्हें शादी तोड़नी ही थी.. तो तभी तोड़ देतीं तो ज्यादा बेहतर रहता... साथ ही कुछ लोग के अनुसार यह तर्क भी हो सकता है... कि तब वे इतनी सशक्त नहीं थीं.. कि कोई निर्णय ले पाती और इस दृष्टि से भी उनका कार्य अनैतिक ठहरता है...
रही बात आलोक की तो वो भी दूध के धुले नहीं हैं...
प्रथम अगर उन्होंने शादी के समय अपने पद के विषय में झूठ बोला है.. तो यह अपराध तो किया ही है.. द्वितीय इस घटना को सार्वजनिक कर रहे हैं... बात सिर्फ इतनी है कि अगर ज्योति जी किसी के प्रति प्रेम में हैं... तो उन्हें क्या आलोक जी जबरदस्ती अपने साथ रखेंगे...??? क्या रख पाएंगे...??? क्या ऐसा करने से रिश्ता बच जाएगा...???? असल तो यह है कि आलोक को भी अभी रिश्ते की नहीं पैसे की परवाह अधिक है... (तभी तो इतने समय बाद धर्मपत्नी जी भ्रष्टाचार करते हुए दिखाई दी...) ज्योति जी पद पर हैं... तो भले ही किसी और के प्रेम में रहें पर साथ रहें...??? और यदि ऐसा नहीं है तो फिर इतना हंगामा क्यों...???
अब आते हैं मुद्दे पर.... इस मुद्दे पर असली संवेदनहीन है... जनता यानी की हम लोग... जनता को कोई फ़र्क नहीं पड़ता स्थिति या परिस्थिति से... उसने आलोक के आंसुओं को सबूत मानते हुए ज्योति को चरित्रहीन बताया... और ज्योति के बहाने पूरे स्त्री समाज पर अपनी पितृसत्ता की लाठी लेकर टूट पड़ा...
इसी बहाने सभी स्त्रियों को सर्टिफिकेट भी थमा दिया... स्त्रियों के यह बहुत कम मामलों में से एक है... परंतु क्या आप सभी ने पुरुषों का भी कुछ रिकॉर्ड चेक किया है... ???? (अब यह शायद बहुत सारे लोगों को ना अच्छा लगे..)
मुझे कई कमेंट और पर्सनल मैसेज कुछ ऐसे आए हैं... कि मुझे कहते हुए भी शर्म आ रही है.... "चाहें मिले दुश्मन हज़ार मगर गद्दार यार ना मिले... #कुंवारा रह लूँगा मगर मेह................................############
यह स्थिति है... मैं मानती हूं कि ज्योति मौर्य नैतिक स्तर पर ग़लत हो सकती हैं... मगर प्रेम के स्तर पर बिल्कुल नहीं... और दूसरी बात माना कि वो ग़लत हैं... तो क्या ....???? एक स्त्री के चरित्र से तुम सारी स्त्रियों का चरित्र मापोगे....???
यदि ऐसा है.... तो "आशाराम" की तरह सारे साधु, संत, महात्मा बलात्कारी हैं.... ??? "कुलदीप सिंह सेंगर" की तरह सारे राजनीतिज्ञ बलात्कारी हैं.... ??? यहां तो हर बलात्कारी एक पुरुष होता है... तो सारे पुरुष बलात्कारी हैं...???? ....????? (थोड़ा कड़वा है पर सत्य है...)
जहर दिखाना बंद करिए.... यह उनका बेहद निजी मामला है...
तो क्या मैं ऐसा मान लूं... कि मनीष दुबे इस प्रकरण में अपने वैवाहिक जीवन को लेकर सही कर रहे हैं....??? (बताया जा रहा है... की ज्योति मौर्य के प्रेमी है)
इसके उलट बहुत सारे लोग अभी भी ऐसे हैं जो महिलाओं को देवी मानते हैं और मेहनत कर उन्हें नए मुकाम तक पहुंचाने के लिए तत्पर हैं...
जिस प्रकार सभी पुरुष बलात्कारी नहीं है... ठीक उसी प्रकार सभी स्त्री दोषी भी नहीं होती... अपने नितांत व्यक्तिवादी, कुंठित, सतही और त्वरित अवलोकन से ऐसे रिश्तों को बर्बाद ना करें....
रिश्ते बेहद अनमोल है... इन पर अनेक विचारों की आसंवेदनशील की मोहर ना लगे...
पितृसत्ता की एकता तो देखते ही बन रही है ज्योति मौर्य प्रकरण में, पुरुष समाज एकजुट होकर (अपवाद शामिल नहीं) उसे ट्रोल कर रहा है, जैसे सभी पुरुष दूध के धुले हों और अपनी पत्नी के अतिरिक्त किसी स्त्री की तरफ निगाह भी न उठाई हो। कभी आत्मावलोकन कर लें तो शर्म से डूब ही मरें, कि सदियों से इनके कुकृत्यों को महिलायें सहती रही हैं। लगभग सभी पुरुष महिलाओं की मेहनत से ही अधिकारी बन चौड़े होकर घूमते हैं चाहे वह मां-बहन हो या पत्नी। कितनी ही पढ़ी-लिखी नौकरी-पेशा महिलायें आज भी अपने बेरोजगार पतियों को आर्थिक सहयोग कर पढ़ाने के साथ-साथ घरेलू जिम्मेदारियों का भी निर्वहन कर रही हैं, अपवाद स्वरूप ही स्त्रियां मीडिया में जाने व पति के कुकृत्यों को मीडिया में ले जाने का साहस कर पाती हैं, लेकिन आलोक मौर्य ऐसा कर सका क्योंकि वह पुरुष है, यदि वे समाज में कहने का साहस भी करती है तो कहा जाता है कि यह तो पुरुष प्रवृत्ति है, तुम सहो/सहना सीखो/ तुम्हें सहना चाहिए/ सहोगी नहीं तो कहां जाओगी आदि-आदि। पढ़ी-लिखी व नौकरीपेशा महिलाएं क्या-कुछ नहीं सह रही हैं इसकी एक बानगी -
केस-1 मेरी एक शिक्षिका मित्र हैं जिन्होंने आर्थिक सहयोग देते हुए अपने बेरोजगार पति को प्रयागराज तैयारी हेतु भेजा, असिस्टेंट कमांडेंट(होमगार्ड) बनते ही उसने उनका इतना मानसिक शोषण व मजबूर किया कि वह अवसाद ग्रस्त हो गयी व इसी अवस्था में उससे म्यूचुअल तलाक ले लिया व इस कृत्य को साल भर छुपाने का दबाव बनाये रहा ,मामला खुलने पर घर से निकाल दिया ,आज वह मित्र कोर्ट के चक्कर काट रही है।
केस-2 एक महिला शिक्षिका का विवाह वनविभाग के अधिकारी से खूब धूमधाम से हुआ व विवाह के दो वर्ष पश्चात ही पति की चरित्रहीनता पत्नी के सामने उजागर हो गयी, पति का सम्बन्ध किसी अन्य महिला से हो गया विरोध करने पर पति ने पत्नी की हत्या कर दी।
केस-3 एक दम्पत्ति जो गाँव से आकर शहर बसे, पति छोटी-मोटी नौकरी कर रहा था दोनो प्रेमपूर्वक (?) रह रहे थे,समय बदलते ही पति बड़ा उद्योगपति बन गया व पांच बच्चे होने के बावजूद दूसरे विवाह की फिराक में रहने लगा जिससे पत्नी अवसाद ग्रस्त हो गयी अंततः विरोध के बावजूद उसने दूसरा विवाह कर पहली पत्नी को विक्षिप्तावस्था में ही गाँव भेज दिया अंततः उनकी मौत हो गयी।
केस-4 एक दम्पत्ति जिसकी पत्नी गाँव में रहती थी, शहर आया बैंक कर्मी था , सहकर्मी की बहन से प्रेमविवाह कर बैठा, पहली पत्नी से एक बेटी थी, बेटी को अपने पास रखकर उससे नौकरों की तरह व्यवहार करते रहे दोनो,कुछ समय पश्चात बेटी का विवाह कर दिया। इधर बैंक कर्मी की बीमारी से मृत्यु के पश्चात कुछ सालों बाद दूसरी पत्नी की भी मौत हो गयी, दूसरे विवाह से उत्पन्न पुत्र पहली मां के पास आने-जाने लगा व सम्पत्ति का हकदार बना उधर पहली पत्नी की बेटी के पति ने सम्पति न मिलने के कारण बेटी की हत्या कर दी।
केस-5 एक महाशय दरोगा हो गये शादीशुदा व पांच बच्चों के पिता, शहर में पोस्टिंग। गाँव वाली साथ चलने काबिल न रही सो एक दरोगा जो कि स्व॔य दो विवाह किये थे, की बेटी से प्रेमविवाह कर पहली पत्नी का चरित्रहनन करते हुए तलाक ले लिया, गजब बेशर्मी।
ये सारे पहचान वालों के किस्से हैं,फेहरिस्त इतनी लम्बी है कि लिखना सम्भव नहीं परन्तु एक महिला अधिकारी के प्रकरण में उछल-उछल कर सोशल मीडिया के हर सेग्मेंट में बेशर्मीपूर्ण अभद्र टिप्पणियां करने वाले पुरूषों की जबान में उस वक्त ताला क्यों लग जाता है जब पुरुष अवैध सम्बन्धों में लिप्त होने पर पत्नी की हत्या कर देता है, दहेज के लिए फांसी पर लटका देता है या बलात्कार कर देता है,समाज सामान्य घटनाएं मानकर इन्हें भूल जाता है। ये डरा हुआ समाज है, अपने हितों की रक्षा के लिए "एकता" इनका स्वार्थ है। कितनी ही स्त्रियों ने अपने कैरियर को दांव पर लगाकर इनके सपनो को प॔ख दिये हैं, इन्हें एक स्त्री को मनुष्य का दर्जा देना मुश्किल हो रहा है, कभी आत्मावलोकन कर लेना पुरूषों! तुम जन्म से लेकर मृत्यु तक स्त्री जाति के ॠणी हो।
#COPY #कल्पना_यादव Kalpana Yadav ji

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