साड़ी दिवस @21December @Saree-Day
- ELA
- Dec 21, 2022
- 2 min read
"हमारी संस्कृति,
हमारा परिधान है साड़ी
साड़ी मे लगती हर नारी प्यारी"
#मुक्ता
औरत की खूबसूरती में जो चार-चांद लगाए वो है साड़ी।
#साड़ी
आप सभी बहनों को 21 दिसंबर साड़ी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ❤️❤️
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#अंतरराष्ट्रीय_साड़ी_दिवस_की_हार्दिक_बधाई🙏🏻
वैसे हम हर तरह की ड्रेस पहनते हैं...
पर #साड़ी, ऐसा क्या है इसमें जादू भरा
हर दिल दीवाना इसका,
कैसा है ये करिश्मा?
अलमारी भरी हो इनसे
पर जहां देखी कोई नई #साड़ी
मचल गई हर नारी
शहर की आधुनिका हो या
गांव की गोरी,
#साड़ी की दुकान पर
हारी सभी ने अपनी बुद्धि
पसंद आ गई तो आ गई जी
भूल गई हर वो कसम
जो कल ही ली गई थी कि
अब साल भर #साड़ी नहीं खरीदनी,
दिल जीतना हो जो एक नारी का
दे दो उपहार उसे, एक सुंदर #साड़ी का
पहनते ही #साड़ी
कुछ और निखर आती है,
हर एक नारी
दिल लुभाती, पल्लू लहराती, बलखाती ,
इठलाती नारी,
खुद ही खुद पर वारी जाती,
कभी प्रशंसा भरी नजर और
कभी इर्ष्या भरी नजर
दोनों ही नजर, मन को कुछ और
हर्षा जाती,🤩
तभी तो हर नारी को लुभाती है, #साड़ी।🥻
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विश्व साड़ी दिवस पर
#साड़ी
मेरा दिल और मेरी जान साड़ी।
मेरी तो बन गई पहचान साड़ी।
लुभाते इसके सारे रंग हमको।
दिलों का बन गई अरमान साड़ी।
हो सूती रेशमी साटिन की चाहे।
बढ़ाती औरतों की शान साड़ी।
चंदेरी या पटोला बांधनी हो।
करे दुगुना सभी का मान साड़ी।
लगा मोती सितारे और गोटा।
बनी है क़त्ल का सामान साड़ी।
इसे जो बांध ले लगता अलग सा।
सभी को कर रही हैरान साड़ी।
हर इक नारी को होता गर्व इस पर।
हमारे मुल्क की पहचान साड़ी।
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तुम्हारे सामने
दो ही रंग पहने साड़ी के
एक सफेद एक लाल
सफेद जो मुझे पसंद था
लाल जो तुम्हें पसंद था
हमारे साथ का समय
इतना कम रहा
कि तीसरा कोई रंग
मैं पहन ही नहीं पाई
लेकिन इतना अधिक रहा
कि तुम्हारी मुहब्बत का रंग
कभी उतरा ही नहीं
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कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी..!!
हर नारी होती है पुरुष पर भारी..!!
उस पर से साड़ी में नारी..!!
ऐसी बनावट हेतु ईश्वर का आभारी..!!
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मुझे अब नहीं चाहिए होती #मदद...
#साड़ी को अपनी कमर में...
मुझे अब आता है...
साड़ी के उड़ते पल्लू की #जिम्मेदारियों को,
अब कोई पिन मुझे नहीं #चुभता,
न कमर के ऊपर,न कमर के नीचे...
मैं पहन लेती हूं #नजाकत अपने कानों में,
जानते है वो मेरा #कद बढ़ाना...
और #खुद को...
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विश्व साड़ी दिवस पर
#साड़ी
मेरा दिल और मेरी जान साड़ी।
मेरी तो बन गई पहचान साड़ी।
लुभाते इसके सारे रंग हमको।
दिलों का बन गई अरमान साड़ी।
हो सूती रेशमी साटिन की चाहे।
बढ़ाती औरतों की शान साड़ी।
चंदेरी या पटोला बांधनी हो।
करे दुगुना सभी का मान साड़ी।
लगा मोती सितारे और गोटा।
बनी है क़त्ल का सामान साड़ी।
इसे जो बांध ले लगता अलग सा।
सभी को कर रही हैरान साड़ी।
हर इक नारी को होता गर्व इस पर।
हमारे मुल्क की पहचान साड़ी।
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