औरत से प्रेम में अगर आप ये उम्मीद करते हैं की वो आपसे पूरी तरह खुश है तो आप नादानी में हैं...
ये औरत के मूल में ही नहीं है...
अगर आप बहोत ज्यादा केयर करते है तो उससे भी ऊब जाएगी...
अगर आप बहोत उग्र हैं तो वो उससे भी बिदक जाएगी...
अगर आप बहोत ज्यादा विनम्र हैं तो वो उससे भी चिढ जाएगी...
अगर आप उससे बहोत ज्यादा बात करते हैं तो वो आपको टेक इट फौर ग्रांटड लेने लगेगी ...
अगर आप उससे बहोत कम बात करते हैं तो वो मान लेगी कि आपका चक्कर कहीं और चल रहा है...
यानी आप कुछ भी कर लीजिए वो संतुष्ट नहीं हो सकती...
ये उसका स्वभाव है...
वो एक ऐसा डेडली काॅम्बीनेशन खोजती है जो बना ही न हो, बन ही न सकता हो...
ठीक वैसे ही जैसे कपड़ा खरीदने जाती है तो कहती कि इसी कलर में कोई दूसरा डिजाइन दिखाओ, इसी डिजाइन में कोई दूसरा कलर दिखाओ...
कपड़े का गट्ठर लगा देती है...
बहुत परिश्रम के बाद एक पसंद भी आ गया तो भी संतुष्ट नहीं हो सकती...
आखिरी तक सोचती है कि इसमे ये डिजाइन ऐसे होता तो परफैक्ट होता...
इन सबके बावजूद एक बहोत बड़ी खूबी भी है औरत के अंदर
एक बार उसे कुछ पसंद आ गया तो उसे आखिरी दम तक सजो के रखती है
वो चाहे रिश्ते हो या चूड़ी...
रंग उतर जाएगा, चमक खत्म हो जाएगी पर खुद से जुदा नहीं करेगी....बस यही खूबी औरत को विशिष्ट बनाती है....