Train में समय गुजारने के लिए बगल में बैठे बुजुर्ग से बात करना शुरु किया उसने
" आप कहाँ तक जाएंगे दादा जी "
" इलाहाबाद तक "
उसने मजाक में कहा " कुंभ लगने में तो अभी बहुत टाइम है "
" वहीं तट पर बैठकर इंतजार करेंगे कुंभ का
बेटी ब्याह लिए हैं,अब तो जीवन में कुंभ नहाना ही रह गया है "
" अच्छा परिवार में कौन कौन है "
" कोई नहीं बस बेटी थी पिछले हफ्ते उसका ब्याह कर दिया "
" अच्छा ! दामाद क्या करता है "
" उ हमरी बेटी से पियार करता है " कहते हुए बुजुर्ग ने अपनी नम आंखें पंखे पर टिका दी ..
थोड़ी देर की चुप्पी के बाद जब उसने उनके कंधे पर हाथ रखकर धीरे से कहा "
दुख बांटने से कम होता है बाबा"
तो आंखों से आँसुओ का सैलाब उमड़ पड़ा उनकी.
थोडा शांत होने के बाद उन्होंने बताया .. बेटी ने कहा अगर उससे शादी नहीं हुई तो जहर खा लेगी. बिन मां की बच्ची थी, उसकी खुशी के लिए सबकुछ जानते हुए भी मैंने हां कह दी और पूरे धूमधाम से शादी की..
जो कुछ मेरे पास था सब गहने जेवर आवभगत की तैयारियों में लगा दिया ..
तभी ऐन शादी के एक दिन पहले समधी पधारे और दहेज की मांग रख दी .
जब मैंने मना किया तो बेटी ने कहा आपके बाद तो सब मेरा ही है तो क्यों नहीं अभी दे देते..
तो मैंने घर और जमीन बेचकर नगद की व्यवस्था कर दी..
–सबकुछ तो उस बेबकूफ लडकी का ही था.आपको मना करना चाहिए था .
कह देते आपके मरने के बाद सब बेचकर ले जाए – उसने कसमसाते हुए कहा...
बुजुर्ग मुस्कुरा उठे उसकी इस बात पर..
कोई बाप अपने सुख के लिए बेटी के गृहस्थी में क्लेश नहीं चाहता बेटा ...
" हद है मतलब उस लडकी के दिल में आपके लिए जरा भी प्यार नहीं "
नहीं ऐसा नहीं है
विदाई के वक्त बहुत रोई थी ...
"और आप "
बुजुर्ग ने एक फीकी मुस्कान बिखेरी
" हम तो निष्ठुर आदमी हैं.
हमारी पत्नी जब उसको हमरी गोद में छोडकर अर्थी पर लेटी थी....
लाश सामने रखी थी और तब भी हम रोने के बदले चुल्हे के पास बैठकर बेटी के लिए दूध गरम कर रहे थे ......
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....... Courtesy