मीनू की बड़ी ही अभिलाषा थी कि अपने प्यारे पति को कभी अवसर मिले कि उन्हें , कुछ उपहार दूँ।
आज सुबह बिस्तर से उठते ही सामने दीवाल पर टंगे कैलेंडर की तरफ नजर पड़ते ही उसके चेहरे पर प्यारी मुस्कान आ जाती है, जिसे देखकर दस बर्षीय बेटी पूछ बैठती है, मम्मी- मम्मी क्या बात है , जो तुम इतना मुस्करा रही हो।
मीनू की मुस्कान हंसी में बदल जाती है, और बेटी को गोद मे उठा कर नाचने लगती है। बेटी समझ नही पाती कि ,आज मम्मी को क्या हो गया?
अरे बेटा आज ही के दिन 12 वर्ष पहले मैं और तुम्हारे पापा एक अटूट बंधन में बंधे थे। ओ ये बात है, जो मेरी मम्मी इतनी खुश है, मम्मी हम सभी को आज कुछ अलग करना चाहिए,क्या करें? अरे सबसे पहले तुम पापा और अपने लिए कोई प्यारा सा गिफ्ट ले लो , फिर घर में ही कुछ अच्छा सा बना लेना।
बेटी की बातें सपनों जैसी सुखद लगी मन ही मन गिफ्ट की कल्पना करने लगी,साथ ही अपने जमा पूंजी को गिनने बैठ गयी। सब मिला कर 2000 से भी कम पूंजी थी, बेटी ने कहा मम्मी कम लगे तो गुलक भी अपना तोड़ देते है।
नही बेटा इसी से काम चलातें है,बाजार में कुछ न कुछ इस वजट में आ ही जायेगा।
पा - पापा आज मम्मी ने बहुत ही स्वादिष्ट खीर बनाई है, आप खा कर खुश हो जाएंगे ,बेटी पापा को खीचते हुए अंदर लाती है।। अरे देख रही हो मीनू मुझे कितना परेशान कर रही है।
अवसर अच्छा जानकर मीनू ने एक चमकता डिब्बा सामने रख दिया, और कहा बहुत बहुत आपको बधाई हम लोंगो को आज 12 वर्ष हो गए ,एक साथ रहते हुए , कभी हम आपको कुछ दे नहीं पाए थे, इसलिए ये एक छोटा सा मेरा उपहार आपके लिए।
तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब है, --
सब वजट खराब कर दी महीने भर तुम, सभी की जरूरत कहाँ से पूरा करूँगा,
और --दूसरी बात मेरा ही पैसा और मुझे ही गिफ्ट तुम्हे शर्म नही आई?, मीनू तो वहीं जड़ हो गयी।
पापा आप क्यों चिल्ला रहे है, मम्मी ने अपने बचत से खरीदा है।
बचत- हां बेटा बचत, सब तो मेरी ही कमाई है।
तुम्हारी मम्मी की भी कोई कमाई है क्या?
ये सुनकर मीनू सन्न रह गयी,--
सारे भ्रम टूट गए,
लेकिन एक प्रश्न करना नहीं भूली ,---
क्या जी इन 12 वर्षों में मेरे काम की कोई मजदूरी है कि नहीं-----
मेरी कोई कमाई----