आजकल लड़के लड़कियां भाग कर शादी कर रहें हैं ना जाति देख रहें हैं नाही खानदान देख रहें हैं जिसको जहां लग रहा वही भाग रहा है सर पर प्यार करने का भुत चढ़ गया है।
प्यार का मतलब तक जिसे नहीं पता वो भी का खेल खेल कर प्रेम नाम का तमाशा बना दिया है, प्रेम का मतलब जानना है तो उस माँ से जानों उस बाप से पुछो कैसे पैदा किया, कितना दुख झेला, कैसे जवान किया, कैसे पढ़ा लिखा कर विकर्षित बनाया, अपने औलाद की खुशी के लिए अपने एक कर्म बाकि नहीं रखते हैं माता पिता,
यह सब सोचना पता चल जायेगा प्यार क्या होता, दो दिन का प्यार माँ बाप से बड़ा नही होता है, माँ बाप का प्यार अनमोल है, हम कभी उस का मोल नही चुका सकते है। उस माँ से जरूर यह पूछना की 9 महीने तक कैसे पेट मे रखा क्या दर्द होता है, तुम लात मारते हो पर माँ कहती हैं हस कर देखो मेरा बेटा या बेटी लात मार रहे है पर फिर भी वह माँ लालन पालन में कोई कमी नही रखती है।
अच्छे से अच्छा आहार खायेगी, किसके लिए औलाद के लिए। और औलाद ही जवान होकर माँ बाप को लात मार कर भाग जाते है। एक झूठे रिश्ते कि खातिर।
मे नही मानती ऐसे प्यार को, जो किसी को दुख पहुंचा कर किया जाये। तुम तो भाग जाते हो पर उनके अरमानों को तुम एसी लात मारते हो की वह रोये या पछतावा करे। समझ मे नही आता है।
माता पिता आपके लिए अच्छा ही सोचते है बूरा नही उनकी पसंद को हमेशा। उपर रखो ओर गर्व करो। माँ बाप को पैदा करने कि मशीन ना समझो। भगवान समझो उन को।
और हां एक बात और कह दूं जो कुलीच औलादें अपने मां बाप को दुख पहुंचा कर अपने लिए खुशियां ढूंढते है वह संसार के किसी भी मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा चर्च कहीं पर भी माथा टेक लें पर उन्हें कभी भी खुशी नहीं मिलती है।