जिस इंसान को आप छोड़ने का सोच रहे हैं...
एक बार आखिरी बार उसे थामकर तो देखिए,
क्या पता कुछ वक्त बाद आप खुद कहें —
"अगर तब छोड़ दिया होता, तो बहुत बड़ी गलती हो जाती।"
छोड़ देने के बाद कुछ भी करने को बाकी नहीं रहता,
लेकिन अगर थोड़ा सा भी थाम सके,
तो बहुत कुछ बदला जा सकता है।
इंसान को अपने जैसा नहीं, अपने दिल का बना लिया जा सकता है।
याद रखिए — आजकल हर कोई साथ नहीं रहना चाहता।
जो रहना चाहता है, उसके साथ थोड़ा बहुत समझौता कर लीजिए।
कम से कम उसके साथ आप कभी धोखा नहीं खाएंगे,
वो जैसा भी हो, लेकिन सच्चा जरूर होगा।
उसे थामकर रखिए —
क्योंकि दिन के अंत में अगर कोई ऐसा हो जो आपके पास सच में है,
तो उससे बड़ी बात कुछ नहीं होती।
ये सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता।
छोड़ कर चले जाना तो आसान है,
लेकिन थामे रहना...
वो सबके बस की बात नहीं होती।
आप कोशिश करके तो देखिए,
दिखा दीजिए कि सब छोड़ कर नहीं जाते,
कुछ लोग निभाने के लिए भी होते हैं।
अगर आप थोड़ी सी बातों में किसी को छोड़ देंगे,
तो आपके जीवन में लोग तो आएंगे...
लेकिन कोई टिकेगा नहीं।
किसी को थामे रखना है,
तो उसे समझना और सहना भी आना चाहिए।
धैर्य चाहिए।
इस छोटी-सी ज़िंदगी में हज़ार लोगों की यादें लेकर जीना तो संभव है,
लेकिन खुश रहना मुश्किल।
खुश रहने के लिए ज़रूरी है कि आप किसी एक को चुनें
और उसे हर तरह से अपना बनाएं।
सैकड़ों को प्यार करने की ज़रूरत नहीं,
एक को सौ तरीकों से प्यार करिए।
ज़िंदगी खुद-ब-खुद खूबसूरत हो जाएगी।
इस जीवन में आपको कोई भी इंसान पूरी तरह परफेक्ट नहीं मिलेगा।
और अगर मिल भी गया,
तो उसमें प्यार करने जैसा कुछ नहीं बचेगा,
क्योंकि वो पहले से ही परफेक्ट है।
प्यार तो अधूरेपन से होता है,
प्यार तो तब होता है जब आप किसी की खामियों को अपनाते हैं।
क्योंकि एकदम परफेक्ट इंसान...
वो इंसान नहीं, एक रोबोट जैसा हो जाता है।
~ थोड़ा थाम कर तो देखिए... कुछ कहानियाँ छोड़ने के लिए नहीं होतीं, निभाने के लिए होती हैं।
