"बड़े घर की बेटी"__________
क्या माँ तुम तो जानती हो ना कि श्वेता बड़े घर से आई है उसके पिता के घर में चार -चार नौकर है और वो कभी चाय तक कभी नहीं बनाई तो आज "चूल्हा स्पर्श " रस्म में खीर पूड़ी सब्जी कैसे बनाएगी ? कल को शादी हुआ है और आज नवविवाहित बेटा सरस के मुख से एक दिन का पति बना बेटा अपनी दुल्हन के लिए पक्ष ले रहा है वो भी अपनी विधवा माँ से बोल रहा कि वो बड़े घर की बेटी है इसलिए उससे यह रस्मोचार मत कराओ । बेटे की बात से सुनीता दंग रह गईं , फिरभी सँभलते हुए खुद पर संयम के साथ बोलीं ....
देख बेटा ! यह कोरम तो बहू को करना तो पड़ेगा ही , सब रिश्तेदार बहू के हाथों से पका भोजन करेंगे ही , साथ में जेठ ससुर के द्वारा शगुन उपहार नेग दिया जाता है ताकि नवविवाहिता को सुखमय जीवन व्यतीत करने हेतु ससुराल पक्ष के पुरुषों का आर्शीवाद मिले । ठीक है माँ , तुम सुहानी को भेज दो वो श्वेता को लिवा जाएगी और तुम किचन में मदद कर देना । रजामंदी दिखाती हुई सुनीता देवी चली जाती हैं ।
लाल रंग की चटक साड़ी में बहू श्वेता बहुत सुंदर लग रही है , उसे देख सास बनी सुनीता निहाल हुई जा रहीं किंतु अपने ही कोखजना का आत्मसात करनेवाला कथन से व्यथित हैं कि अभी से अपनी पत्नी का पक्ष ले रहा है , भगवान ही जाने नवीन बहू के रंग ढंग कैसे हैं ।
श्वेता अपनी सासू माँ के पैर छूकर आर्शीवाद लेती है । बहू आज रसोईघर का रस्म है इसलिए मैं खाना बना देती हूँ बस तुम पके हुए भोजन को स्पर्श कर देना और अपने हाथों से ही परोसकर बड़ - जेठ ( ससुर- भसुर) को खिलाना । ऐसा करो यहाँ स्टूल पर बैठ जाओ , कहकर सुनीता झट से उबले हुए आलू को छीलने लगीं और सुहानी को फ्रिज से दूध निकालने को कहकर जैसे ही मुड़ती हैं ..
श्वेता फ्रिज से दूध निकाल रही है और सुहानी से डेगची ( भगोना ) देने को कहती है । अरे बहू तुम बैठो ना , हम और सुहानी मिल कर भोजन तैयार कर लेंगे । लेकिन श्वेता अपनी सासू माँ को पकड़कर स्टूल पर बिठा देती है और सुहानी के साथ मिलकर सारा व्यंजन पका लेती है । सब कुछ अपने आँखे के समक्ष देख सुनीता हैरान परेशान है कि बेटा तो बीबी का साइड ले रहा था और अब बहू तो घरेलू कार्य में पारंगत निकली और तो और बहू के हाथ का पकवान खाकर सब ऊंगुली चाटते रह गए।
सारे रिश्तेदार चले जाते हैं , तब सुनीता अपने बेटे सरस और बहू से पूछती है कि वो बिना जाने कैसे कहने लगा कि बहू को खाना बनाने नहीं आता है , जबकि बहू तो ऑलराउंडर निकली और पाक कला में निपुण भी । इतना सुनना था कि दोंनो हँसते हँसते बोल पड़े ..
अरे माँ यह सारा प्लान तेरी बहूरानी का था , वो आपको सरप्राइज देना चाहती थी कि मम्मी से कहिएगा कि हमको खाना बनाने नहीं आता है और तुम्हारी प्रतिक्रिया देखना चाहती थी , लेकिन माँ तुम तो धन्य निकली । मेरे कठोर शब्द सुन कर भी विचलित नहीं हुई और अपनी बहू के साथ किचन में सहयोग देने के लिए डटकर खड़ी थी ।
हाँ माँ ! आप बहुत अच्छी और नेक हैं कहते हुए श्वेता गले लग जाती है । सुनीता का मन भी अतिरेक खुशी से आह्लादित हो उठा ।