मेरा यौवन उफान मार रहा था, लेकिन मेरे पति मेरी शारीरिक जरूरतों को पूरी नहीं कर पा रहे थे।
जिंदगी की आपाधापी में कब हमारा रिश्ता ठंडा पड़ गया, यह मैं खुद भी नहीं समझ पाई। अरुण से प्यार तो बहुत था, लेकिन उनकी व्यस्त जिंदगी और बच्चों की जिम्मेदारियों के बीच हमारी अपनी दुनिया का रोमांस जैसे कहीं खो गया था। उनकी तरफ से वो गर्मजोशी और ध्यान नहीं मिल पा रहा था जो पहले मिला करता था। धीरे-धीरे मैं खुद को अकेला महसूस करने लगी, मानो दिल के एक कोने में खालीपन सा छा गया हो।
इसी दौरान, हमारी गली में आदित्य नाम का एक नया चेहरा दिखने लगा—हमेशा मुस्कुराता हुआ, 25 साल का जोशीला लड़का, जिसकी ऊर्जा और मासूमियत ने जैसे मेरी जिंदगी में नई रोशनी भर दी। उसकी बातों और अंदाज में एक अलग आकर्षण था, जिससे मेरे अंदर नई ताजगी महसूस होने लगी।
लेकिन मैंने खुद से सवाल किया, 'क्या यह सही है? क्यों मैं आदित्य की ओर आकर्षित हो रही हूँ, जबकि अरुण से मेरा सच्चा प्यार है?' मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब मेरे साथ क्यों हो रहा है। अपनी सबसे करीबी दोस्त नीतू से बात करने पर उसने मुझे समझाया कि जिंदगी में एक वक्त ऐसा आता है, जब भावनात्मक और शारीरिक ऊर्जा की जरूरत महसूस होती है। पर इसका मतलब यह नहीं कि प्यार खत्म हो गया है। यह सिर्फ रिश्ते में आई दूरी का नतीजा हो सकता है।
नीतू की बातों ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया। एहसास हुआ कि शायद यह केवल क्षणिक आकर्षण था। मैंने अरुण से खुलकर अपनी भावनाओं को साझा किया। अरुण ने मेरी बातों को समझा और माना कि हम दोनों कहीं न कहीं अपने रिश्ते को नजरअंदाज कर बैठे थे।
अब हमने तय किया कि हम एक-दूसरे के लिए समय निकालेंगे, अपनी भावनाओं को फिर से जोड़ेंगे और अपने रिश्ते को वह गर्मजोशी और उत्साह देंगे, जो हमारी पहचान थी।