जब एक लड़की को संभोग की प्यास लगती है, तो जब तक वो तृप्त न हो, उसे खत्म कर पाना नामुमकिन है।
एक बार एक पुरुष अपने मन को मार सकता है, पर एक स्त्री अपने अंदर उठे वेग को रोक नहीं पाती।
मेरा नाम निशा है। 22 साल की उम्र में मैंने मास्टर्स में एडमिशन लिया। नया कॉलेज, नया माहौल और ढेर सारी उम्मीदें… शुरुआत में सब कुछ नया और रोमांचक था।
पहले ही हफ्ते एक इंट्रोडक्शन सेशन हुआ, जहां सभी छात्रों की मुलाकात हुई। वहीं पहली बार मैंने रचित को देखा। उनका आत्मविश्वास, बोलने का तरीका, और सहज मुस्कान ने मुझे तुरंत आकर्षित कर लिया।
धीरे-धीरे हमारी बातचीत शुरू हुई और दोस्ती गहराने लगी। रचित की मां अब इस दुनिया में नहीं थीं, इसलिए वह कैंटीन का खाना खाते थे। मुझे यह जानकर बहुत दुख हुआ और मैंने रोज़ उनके लिए टिफिन ले जाना शुरू कर दिया।
क्लास के सभी लोग हमारी नज़दीकियों को महसूस करने लगे, लेकिन रचित को शायद अभी एहसास नहीं था।
कुछ समय बाद, मैंने खुद हिम्मत करके उन्हें अपने दिल की बात बता दी। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि वो भी मुझे पसंद करते हैं। हमारे रिश्ते की शुरुआत हो गई।
कॉलेज की ट्रिप्स, लाइब्रेरी में बैठकर देर तक बातें करना, एक-दूसरे का साथ हर पल खास लगने लगा।
एक बार मसूरी की ट्रिप में, सभी दोस्तों ने अपने-अपने पार्टनर्स के साथ कमरे लेने का प्लान बनाया। हम भी एक कमरे में थे। उस रात हमारी नज़दीकियां इतनी बढ़ गईं कि भावनाओं पर काबू नहीं रहा और हमारे बीच शारीरिक संबंध बन गए।
अगले दिन मैंने इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोली ले ली। तब तो सब सामान्य लगा, लेकिन धीरे-धीरे यह सब हमारे रिश्ते का हिस्सा बन गया।
हमने एक-दूसरे से वादा किया था कि हम शादी करेंगे। पर जब मैंने रचित के बारे में घर पर बताया, तो मम्मी-पापा ने साफ मना कर दिया। समाज, जाति और मान्यताओं की दीवारें हमारे प्यार के बीच आ गईं। मैं डर गई… और रचित से दूरी बना ली।
कुछ समय बाद मेरी शादी एक दूसरे लड़के से तय हो गई। सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन तीन साल बाद भी मैं मां नहीं बन पाई।
डॉक्टर से जांच करवाई, तो पता चला कि बार-बार इमरजेंसी पिल्स लेने से मेरी बच्चेदानी पर बुरा असर पड़ा है — और अब मैं कभी मां नहीं बन सकती।
यह खबर मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा झटका थी। मैंने जो सोचा नहीं था, वही मेरा सबसे बड़ा दुःख बन गया।
आज जब पीछे मुड़कर देखती हूं, तो समझ आता है कि जवानी में की गई लापरवाहियां, वक्त के साथ बड़ी सज़ा बन जाती हैं।
मेरी यह कहानी हर लड़की के लिए एक सीख है — रिश्तों में भावनाएं जरूरी हैं, लेकिन ज़िम्मेदारी उससे कहीं ज्यादा। हर कदम सोच-समझकर उठाइए, क्योंकि आज का फैसला कल की ज़िंदगी तय करता है। 🌸💔
अगर चाहें तो इसे और छोटा या और भावुक अंदाज़ में ढाल सकती हूं।