स्त्री अगर हमे सम्भोग का सुख देती है तो हम उसके विवश हो जाते है और हमे उसकी हर बात माननी पड़ती है |
ऋचा से मेरी शादी के बाद घर में सब खुश थे। वह न केवल सुंदर और कामुक थी, बल्कि घर के काम में भी दक्ष थी। माँ और पिताजी उससे बहुत खुश थे, और मैं भी। शादी के चार साल बाद, माँ की मृत्यु हो गई और घर की सारी जिम्मेदारी ऋचा पर आ गई। इस बदलाव के साथ ही उसके व्यवहार में भी परिवर्तन आने लगा।
माँ की मृत्यु के बाद, पिताजी की देखभाल का जिम्मा भी ऋचा पर आ गया। अक्सर पिताजी की जरूरतें पूरी करने में उसे फालतू काम लगता था। एक दिन, जब ऋचा बाथरूम से तौलिया लपेटकर निकली, पिताजी ने नजर चुराकर अंदर चले गए। इस घटना पर ऋचा ने मुझसे शिकायत की। मैंने उसे ध्यान रखने को कहा, लेकिन उसने कड़े शब्दों में कहा कि यह घर उसका भी है और वह जैसे चाहे वैसे रह सकती है।
ऋचा ने मुझ पर दबाव डाला कि पिताजी को नीचे के कमरे में शिफ्ट कर दूं। मैं मजबूर था और पिताजी का सामान नीचे शिफ्ट कर दिया। पिताजी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उनके चेहरे पर दुख साफ झलक रहा था। कुछ दिन बाद, पिताजी ने हमें दुबई के लिए टिकट बुक की और कहा कि हमें घूमने जाना चाहिए।
जब हम 16 दिन बाद वापस आए, तो देखा कि घर के बाहर ताला लगा हुआ था। माथुर अंकल आए और हमें नए फ्लैट की चाभी और रेंट एग्रीमेंट दिया। #पिताजी ने एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें लिखा था कि उन्होंने घर बेच दिया है और हमें आजादी दी है। उन्होंने अपने लिए एक नया बंगलो लिया और हमारी चिंता न करने को कहा।
मुझे यह समझ नहीं आया कि मैंने अपने पिता के दुख को कैसे अनदेखा कर दिया। पिताजी ने हमें कभी यह बात नहीं बताई कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, लेकिन अब मैं और ऋचा समझते हैं कि उन्होंने क्या सहा होगा। हमारे समाज में लोग पिताजी को गलत ठहराते हैं, लेकिन असल सच्चाई हमें ही पता है।
यह कहानी एक महत्वपूर्ण सबक देती है: पत्नी के साथ जीवन बिताना जरूरी है, लेकिन माता-पिता का सम्मान और उनकी देखभाल भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। किसी भी परिस्थिति में माता-पिता से बैर नहीं करना चाहिए।
#जीवन में संतुलन और समझदारी से काम लेना जरूरी है। पत्नी के साथ-साथ माता-पिता की भी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। यह कहानी हमें यह याद दिलाती है कि जीवन में दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना ही सच्ची सफलता है।