एक बुजुर्ग पिता ने अपनी बड़ी बेटी से पूछा,
"तुम्हारी ज़िंदगी में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ क्या है?"
बेटी ने मुस्कुराते हुए कहा, "पापा, मेरे बच्चे! वे ही मेरी दुनिया हैं।"
फिर पिता ने वही सवाल उसके पति से किया।
उसने भी मुस्कराकर जवाब दिया, "हमारे बच्चे ही सब कुछ हैं, उनके लिए ही तो जी-जान से मेहनत करता हूं।"
बुजुर्ग पिता ने एक गहरी सांस ली और कहा,
"बच्चे वाकई बहुत अनमोल हैं, लेकिन एक बात जो मैं तुम्हें समझाना चाहता हूं – वह यह है कि तुम्हारी ज़िंदगी का पूरा ध्यान अब सिर्फ बच्चों पर केंद्रित हो गया है। हर बातचीत, हर योजना – सब उनके इर्द-गिर्द घूमती है।"
दोनों ने चुपचाप सिर हिलाया, जैसे खुद भी ये बात पहली बार महसूस कर रहे हों।
तब पिता ने एक मिसाल दी,
"मैं एक गौपालक हूं। मेरी गायें मेरे लिए जरूरी हैं। मैं उनकी देखभाल करता हूं ताकि वे स्वस्थ रहें और अच्छा दूध दें। लेकिन अगर मैं सिर्फ दूध की चिंता करूं और गायों को नजरअंदाज कर दूं, तो धीरे-धीरे सब बिगड़ जाएगा।"
उन्होंने कहा,
"इसी तरह, पति-पत्नी का रिश्ता इस परिवार की जड़ है। बच्चे उस पेड़ के फल हैं। अगर जड़ को पोषण नहीं मिलेगा, तो फल भी धीरे-धीरे सूख जाएंगे।"
"बच्चे तुम्हारी शादी का फल हैं, लेकिन तुम्हारा आपसी संबंध उसकी बुनियाद है। अगर तुम एक-दूसरे को समय और स्नेह दोगे, तो बच्चों को भी सुरक्षित और संपूर्ण माहौल मिलेगा। लेकिन अगर तुम दोनों एक-दूसरे को नजरअंदाज करते रहोगे, तो धीरे-धीरे दूरी आ जाएगी, जो आगे चलकर परिवार को हिला सकती है।"
बुजुर्ग की बातों ने दंपति को सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्हें अपने व्यवहार का एहसास हुआ। उन्होंने ठान लिया कि अब वे सिर्फ माता-पिता ही नहीं, एक-दूसरे के साथी भी बनकर जिएंगे।
सच यही है – बच्चों को प्यार दीजिए, लेकिन अपने जीवनसाथी को भुलाकर नहीं। रिश्तों को समय और सम्मान दीजिए, क्योंकि वही पूरे परिवार की नींव होते हैं।
अगर चाहें तो इसे और भावुक या प्रेरणादायक अंदाज़ में भी ढाल सकता हूँ