"बिचारा या बिचारी "-----'
शादी करके ससुराल को आई नवीन विवाहिता को समझ नहीं आ रहा कि नए घर में कैसे सामंजस्य बिठाए और दूसरे दिन ही उसे अपने पति के साथ उसके पोस्टिंग वाले स्थान पर जाना है इसलिए बंधे बैग सहित वो चली गई। अभी तक वो अपने पति का आचरण व्यवहार समझ नहीं पाई थी , ऊपर से अरेंज मैरिज। माँ-बाप ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर लड़की की शादी भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर से की है जबकि लड़की भी कमाऊ थी , दोनों एक ही पदासीन पर हैं फिरभी एक पुरुष का दंभ तो देखिए, और बोलने के लहजा पर भी गौर फरमाइये।
हुआ यूँ कि यहाँ आने के बाद उसको खाना बनाने का फरमान पति से जारी हुआ है । जैसे तैसे खाना बनाया पत्नी ने , दाल में तेज नमक ,रोटी भी अधपकी, आलू गोभी की सब्जी ठीक-ठाक बनी थी लेकिन पति महाशय की भौंहे तन गईं और चिढ़कर बोले , ये कैसा खाना है छी: दाल में जहर नमक है और रोटी तो भारत का नक्शा लग रहा है , कोफ्त से भरा पति ने स्वीगी से खाना मँगाकर खा पीकर सो गया है और नाक बजा रहा है और बिचारी पत्नी ने वही पका खाना को खाया है , उसको ठीक लगा । कमरे से पति के खर्राटे की गूँज मोटरसाइकिल के चलने जैसी सुनाई पड़ रही , बिचारी वहीं सोफे पर पसर गई। हालाँकि पहली बार इतना खाना बनाया था वो भी मटियामेट कर पति ने उसके वजूद को कटाक्षेप कर हतोत्साहित किया था । किस मामले में वो कमतर थी , डिग्री के मामले में या व्यक्तित्व के संदर्भ में ? क्या किसी भी पुरुष को यह हक बनता है कि अपनी नवविवाहिता पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करे । अरे वो भी तो अपना घर-परिवार छोड़कर तुमसे गठबंधन जोड़कर आयी है । या तो वो लड़का अपने पिता को ऐसा व्यवहार करते देखा है या उसकी माँ दिग्भ्रमित कर रही है ।
तीसरे दिन तो हद हो गई है , जनाब रात के बारह बजे बेवजह झगड़ने लगे और कह रहे कि अभी तुम मेरे घर से निकल जाओ , ये तुम्हारे बाप का घर नहीं है । वो क्या करती , उसके पति की झल्लाहट समझ से परे था , बिना प्रत्युत्तर के वो बाहर के कमरे में सोने चली गई।
चौथे दिन एकदम नार्मल/ सामान्य बन गया है , साॅरी यार ! कल जरा फ्रस्ट्रेशन में था ऑफिस का वर्क लॉड के चलते । लेकिन अकेले तुम ही काम नहीं करते हो मैं भी करती हूँ , तुम सालाना 40, लाख कमा रहे हो तो मैं उतना ही कमाती हूँ । ये मेरे पिता का घर नहीं है तो क्या हुआ , चलो घर के खर्चे बाँट लेते हैं , पत्नी ने अपनी नाराजगी को व्यक्त करते हुए कहा । देखो घर का किराया तुम देना, राशन पानी बिजली बिल का पेमेंट मैं कर दिया करूंगी । ठीक है ना ! इतना सुनना था कि पति महाराज की आँखें खुशी से अतिरेक चमक उठी है । और हाँ हमसे खाना नहीं बनेगा , इसलिए कूक रख लेती हूँ , उसका पेमेंट भी कर दिया करूंगी । पति का दिल बल्ले बल्ले हो गया है और "अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे "!
पति को समझ आ गया कि जिसे ब्याह कर लाया है वो उसके टक्कर और बराबरी की है । आज की आत्मनिर्भर नारी है , पहले की स्त्री जैसी छुई-मुई नहीं , जैसा पति नचाता जाए वैसे वैसे वो चक्करघिन्नी बन नाचती रहे। कमाने का धौंस तो आजकल नहीं चलेगा , समभाव का जमाना है । बस पति अपनी पत्नी के आगे पीछे घूमने लगा है क्योंकि अब तो उसको पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा , कमाऊ बीबी जो मिली है । शनै:- शनै: दोंनो का जीवन की नैया चल निकली है , कुछ सालों में अपना फ्लैट और गाड़ी भी ले लिया है और एक बेटा भी है ।
अब वो जमाना नहीं रहा कि हमने अपनी सास देवर ननद पति की ज्यादती सह तो ली है लेकिन आर्थिक रूप से असबल असक्ष्म होने के कारण अन्याय के विरुद्ध आवाज भी नहीं उठा सके थे । माँ-बाप से कुछ कहते भी तो उधर से यही सलाह मिलता कि वो ही तुम्हारा असल घर है बेटा , पति के साथ निभा लो । मर्द लोग बोलते ही हैं चाहे वो हाथ ही क्यों ना उठाए या गाली-गलौज करे । बस यही मेरी नियती है , बस मन मसोस कर रह जाती थीं सब , अब तो कोई माई का लाल बोलकर दिखा दे तो आजकल माँ-बाप भी कह देते हैं.... मेरी बेटी कोई बोझ नहीं है और जब आपने अपना बेटा ( समधी सै) पढ़ाया है तो हमने भी अपनी बेटी को पढ़ाया ।